डीएनए टूरिज्म और सेकंड सिटी ट्रेवल के नाम रहेगा नया साल, 18 करोड़ टूरिस्ट के बीच सर्वे में आया सामने

टूरिज्म के लिहाज से नया साल काफी अलग होगा। पर्यटक ऐसी जगह और लोगों के बीच जाना चाहते हैं जहां उनके पूर्वज रहते थे। डीएनए से मिलान करके ऐसे लोगों और जगहों से जुड़ी जानकारियां पर्यटकों को दी भी जा रही हैं। नया साल ऐसे ही डीएनए टूरिज्म और सेकंड सिटी ट्रेंड के नाम रहेगा। यह बात दुनियाभर के 22 हजार पर्यटक और 18 करोड़ टूरिस्ट रिव्यू के विश्लेषण के बाद वेबसाइट बुकिंग डॉट काम ने जारी की है। 


सर्वे में सामने आया कि पर्यटक सिर्फ फेमस डेस्टिनेशन का रुख नहीं करना चाहते। वो उसकी तरह दिखने वाली दूसरी जगहों पर भी जाना चाहते हैं वो भी लंबे रास्ते से, इसे सेकंड सिटी ट्रेंड का नाम दिया गया है। इस तरह पर्यटक अपनी यात्रा को यादगार बनाने के लिए छोटे-बड़े हर पड़ाव को एंजॉय करना चाहते हैं। वेबसाइट ने रिपोर्ट के आधार पर 2020 के ट्रेवल टेंड जारी किए।  डीएनए टूरिज्म : पूर्वजों की जन्मभूमि ढूंढने की कोशिश


पूर्वज कहां के थे और कैसे थे, पर्यटक यहीं जानने के लिए डीएनए टूरिज्म को अपना रहे हैं। वो अपने डीएनए से मिलते जुलते दूसरे देश के लोगों के बीच जा रहे हैं। उनका मानना है हमें पूर्वजों के जन्मस्थान को देखना और समझना चाहिए। ट्रेवल के इस ट्रेंड को एनसेंस्ट्रल टूरिज्म यानी पूर्वज पर्यटन का नाम भी दिया गया है। इसके लिए पर्यटक बाकायदा लार और स्वैब सेंपल भी दे रहे हैं जिसकी रिपोर्ट ईमेल से उन्हें दी जा रही है। घर पर ही डीएनए टेस्ट की सुविधा ने इस ट्रेंड को आसानी से बढ़ने में मदद भी की है।


सेकंड सिटी ट्रेवल : फेमस टूरिस्ट डेस्टिनेशन के नए विकल्प


सेकंड सिटी ट्रेवल यानी ऐसी जगहों की ओर रुख करना जो खूबसूरत हैं लेकिन उनके बारे में काफी कम जानकारी उपलब्ध है। ऐसे टूरिस्ट प्लेसेस जहां घूमना महंगा है उनके विकल्प के तौर पर वो जगह ढूंढी जा रही है जो देखने और घूमने में महंगे डेस्टिनेशन जैसे हैं। सर्वे के मुताबिक, 51 फीसदी पर्यटक अपनी पसंद से मिलता जुलता दूसरा विकल्प मिलने पर डेस्टिनेशन बदलते हैं। ऐसी यात्राओं का चलन शुरु हो चुका है और 2020 इसके लिए जाना जाएगा। ट्रेवलिंग का यह तरीका नामचीन टूरिस्ट प्लेसेस से ओवर टूरिज्म का भार कम करेगा और घूमने के नए विकल्प सामने रखेगा। टूरिज्म से जुड़ी ऐप और वेबसाइट इस ट्रेंड को बढ़ाने में मदद कर रही हैं। दुनियाभर के 60 फीसदी टूरिस्ट यह जानने की कोशिश भी करते हैं कहां की यात्रा करने पर वहां के स्थानीय लोगों पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।


स्लो-मो टूरिज्म : जानबूझकर लंबा रास्ता चुनने का बढ़ेगा ट्रेंड


2020 में 48 फीसदी पर्यटक हड़बड़ी में यात्रा नहीं करना चाहते। वो ऐसा लंबा रास्ता चुनना चाहते हैं जो रास्ते में पड़ने वाले हर डेस्टिनेशन से रूबरू कराए। डेस्टिनेशन पहुंचने के लिए पर्यटक पैडल बाइक, ट्रैम और नाव का प्रयोग करेंगे। 57 फीसदी ट्रेवलर लंबा रास्ता में चुनने में हिचकते नहीं। उनका मानना है कि लंबा रास्ता चुनने पर वे ऐसी जगहों को देख पाते हैं जो आमतौर पर छूट जाती हैं। इस तरह नए डेस्टिनेशन सामने आते हैं।


तकनीक से चुनाव : एआई दे रहे घूमने के नए विकल्प


59 फीसदी पर्यटकों को सप्राइस डेस्टिनेशन पसंद हैं। वहीं, 46 फीसदी पर्यटकों का कहना है कि नई जगह को ढूंढने और वहां हो रही एक्टिविटी में शामिल होने में ऐप काफी मददगार साबित होती हैं। इस तरह उनके लिए नए जगहों का चुनाव करना आसान होता है। यात्रा से जुड़ी बुकिंग के लिए 44 फीसदी पर्यटक ऐप का प्रयोग करते हैं। फोन में नए डेस्टिनेशन के विकल्प सामने लाने में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंसी अहम रोल निभा रही है। 


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